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पढ़े भोपाल 09/10/2018

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्‍वविद्यालय, भोपाल

'पढ़े भोपाल'

2-दिनांक 06 दिसम्‍बर, 2018 को 'पढ़े भोपाल' द्वितीय चरण- 

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्‍वविद्यालय, भोपाल

'पढ़े भोपाल' (द्वितीय चरण)

गुरुवार दिनांक 6 दिसंबर 2018

 

            अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्‍वविद्यालय में 'पढ़े भोपाल' कार्यक्रम के द्वितीय चरण का आयोजन 6 दिसंबर, 2018 को प्रात: 11:00 से 11:45 बजे तक किया गया। इस अवसर पर विश्‍वविद्यालय के कुलसचिव एवं प्राध्‍यापकों द्वारा बच्‍चों को संबोधित किया गया। विद्यार्थी इस कार्यक्रम को लेकर बेहद उत्‍साहित थे। पूर्व में भी इस कार्यक्रम का सफल आयोजन दिनांक 9 अक्‍टूबर को हुआ था जिसमें छात्रों का अच्‍छा अनुभव रहा है। इस बार भी विद्यार्थी समय से पहले उपस्थित हो गये थे।

            इस कार्यक्रम में विश्‍वविद्यालय के कुल 194 छात्र-छात्राएं, शिक्षकगण एवं कर्मचारियों ने हिस्‍सा लिया। इस कार्यक्रम में हिंदी की साहित्यिक पुस्‍तकें, उपन्‍यास, आत्‍मकथाएं एवं जीवनि पठन का विषय रहीं। इसके अंतर्गत मुख्‍य रूप से प्रेमचंद की निर्मला, वरदान रवीन्‍दनाथ टैगोर की रासमणि का बेटा, आंख की किरकिरी, लेबोरेटरी, इसके अतिरिक्‍त जयशंकर प्रसाद, शरतचंद्र चट्टोपाध्‍याय एवं डॉ. धर्मवीर की पुस्‍तकें अधिक मात्रा में पढ़ी गई। साथ में कम्‍प्‍यूटर से संबंधित, स्‍वतंत्रता सेनानियों के बारे में एवं विभिन्‍न विषयों की पुस्‍तकें एवं पत्रिकाएं तथा कैरियर के विषय में मार्गदर्शन पुस्‍तकें एवं स्‍वरोजगार कैसे स्‍थापित करें यह पुस्‍तकें भी अध्‍ययन का विषय रहीं। विद्यार्थी अपने साथ शिक्षकों को पढ़ते देखकर अधिक प्रेरित हुए। अध्‍ययन का सही तरीका विद्यार्थियों ने समझा कि किस प्रकार से सही तरीके से पढ़ा जाए, जिससे वे अधिक से अधिक ग्रहण कर सकें।

            कुलसचिव प्रो. सुनील पारे द्वारा 'मध्‍यकालीन भारतीय इतिहास', नोडल अधिकारी प्रो. प्रज्ञेश अग्रवाल द्वारा 'महामात्‍य चाणक्‍य', प्रो. एस.डी. सिंह द्वारा 'ग्‍लोबल वार्मिंग समस्‍या एवं समाधान', संकायाध्‍यक्ष प्रो. रेखा रॉय द्वारा 'अटल बिहारी वाजपेयी का हिंदी के अवदान', प्रो. अनिल शिवानी द्वारा 'गरिमा सुक्ति कोष' आदि पुस्‍तकें पढ़ी गयी। विश्‍वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों में भी 'पढ़े भोपाल'  कार्यक्रम के अंतर्गत पढ़ने का अच्‍छा खासा उत्‍साह देखने को मिला। वित्‍त अधिकारी सुश्री ऊषा सरयाम ने 'आत्‍मविशवास सफलता का द्वार', श्री एस.आर. सराठे द्वारा 'श्री कृष्‍ण', श्री वी.एस. तोमर द्वारा 'कुन्‍ती' आदि पुस्‍तकें पढ़ी। विश्‍वविद्यालय के केन्‍द्रीय पुस्‍तकालय प्रभारी श्री सुधीर गुप्‍ता द्वारा 'राष्‍ट्रभाषा हिंदी और शिक्षा', विश्‍वविद्यालय के शिक्षकगणों द्वारा भी 'पढ़े भोपाल' कार्यक्रम के अंतर्गत अध्‍ययन किया गया, जिसमें डॉ. संजय प्रभुणे द्वारा 'इलेक्‍ट्रॉनिकी आपके लिए', डॉ. राजा चौहान द्वारा 'करेंट अफेयर्स', संगणक विभाग के श्री भरत बाथम द्वारा 'अनमोल साहित्‍य', डॉ. रश्मि चतुर्वेदी द्वारा 'उपनिषदों की कहानियां', सुश्री सविता बागड़े ने 'सचिन तेंदुलकर', डॉ. ज्ञानशंकर तिवारी ने 'शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्‍य', डॉ. कल्‍पना भारद्वाज ने 'ज्‍योति पुरूष स्‍वामी विवेकानंद', डॉ. अनिता चौबे द्वारा 'हिंदी पद विज्ञान', डॉ. अंतिम बाला जैन ने 'शहिदों की कहानी', डॉ. प्रकाश खातरकर द्वारा 'मैं हूं रहस्‍यमय ब्रह्माण्‍ड', डॉ. निवेदिता चतुर्वेदी द्वारा 'क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस', डॉ. अमीन खान ने 'सौंदर्य दृष्टि का दार्शनिक आधार' आदि पुस्‍तकें पढ़ी।


            विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थी 'पढ़े भोपाल' कार्यक्रम को लेकर खासे उत्‍साहित थे, जिसमें रविंद्र अहिरवार ने 'जलीय संवर्द्धन', नरेन्‍द्र गुर्जर ने 'विश्‍व पर्यावरण', रोहित पटेल ने 'वृक्षारोपण एवं वन संसाधन', मजीद अंसारी ने 'आयकर विधि व व्‍यवहार', रविन्‍द्र केवट ने 'औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा', सुश्री राहिला द्वारा 'कम्‍प्‍यूटर एक परिचय', धर्मेंद्र विश्‍वकर्मा ने 'साहसिक खोज यात्राएं', प्रमोद भगत ने 'प्रतियोगिता दर्पण', शिवानी राठौर द्वारा 'मेरी इक्‍यावन कविताएं', शुभम चंसोरिया ने 'अपराधशास्‍त्र', शिवानी तिवारी द्वारा 'विधिक शोध पद्धति', देवल कोठारी द्वारा 'समष्टि अर्थशास्‍त्र' आदि पुस्‍तकें पढ़ी गयी। इसके साथ अध्‍ययन उपरांत विद्यार्थियों द्वारा समूह चर्चा भी की गई तथा पढ़ी गई पुस्‍तकों से संबंधित विचारों का आदान-प्रदान किया गया।

            विश्‍वविद्यालय के अन्‍य कर्मचारियों द्वारा भी 'पढ़े भोपाल' कार्यक्रम में हिस्‍सा लिया गया। सुश्री ज्‍योति शुक्रवारे द्वारा 'कैरियर : निर्देशन और परामर्श', श्री संजय गौर द्वारा 'भारतीय संविधान', श्री सागर बोथे द्वारा' हिंदी शीघ्रलेखन', श्री अविनाश रोहित ने 'फोटोग्राफी कल आज एवं कल', श्री मुन्‍नीलाल यादव ने 'संस्‍कार एवं योग', सुश्री सुषमा सिंह ने 'योगासन', सुश्री प्रीति शर्मा 'गोदान', सुश्री प्रियंका चेलानी द्वारा 'विवेकानंद जी का संस्‍मरण' आदि पुस्‍तकें पढ़ी। विश्‍वविद्यालय के सभी शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी 'पढ़े भोपाल' कार्यक्रम में शामिल हुए और सभी ने कार्यक्रम की प्रशंसा की। कुछ शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा प्रतिपुष्टि भी दी गई, जिनकी छाया प्रति
संलग्‍न हैं।

  • सुश्री पूर्णिमा द्विवेदी ने कहानी पढ़ी और कहा कि जिससे हमे यह सीख मिलती है कि वर्तमान समय में भी लोग बिना रिश्‍तों के एक-दूसरे की मदद करते हैं। यही समाजवाद है।
  • सुश्री अंजली शर्मा ने कहा कि संसार में जितने भी सफल व्‍यक्ति हुए हैं। यदि उनकी गतिविधियों एवं कार्यप्रणाली को ध्‍यापूर्वक देखे तो पता चलता है कि उन्‍होंने समय के एक-एक क्षण का सही प्रयोग किया है।
  • श्री सुनील कुमार आठनेरिया ने कहा कि पुस्‍तकें सफलता की कुंजी है और इसमें ही सफलता का राज छुपा है।
  • डॉ. कमलिनी पशीने ने कहा कि यह कार्यक्रम एक सराहनीय प्रयास है। ''इस पढ़े भोपाल' कार्यक्रम का स्‍वागत मैं दिलो-जॉ से करती हूँ, होते रहे ऐसे नए उपक्रम सदा, ऐसी दुआ मैं दिलों-जॉ से करती हूँ''  
  • डॉ. विम्‍मी बहल ने इस कार्यक्रम को सराहनीय प्रयास बताते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत का निर्माण होगा। जो बहुत समय से कम हो गया था। ऐसे आयोजन होते रहना चाहिए।
  • सुश्री रीमा रायकवार ने कहा कि इससे विद्यार्थियों की किताबों से नजदीकी बढ़ती है। यह कार्यक्रम एक सराहनीय प्रयास है।
  • डॉ. प्रतिमा त्रिपाठी ने कहा कि स्‍वयं के विकास से राष्‍ट्र के विकास में यह कार्यक्रम बहुत ही महत्‍वपूर्ण साबित होगा।

  वर्तमान समय में डिजिटल क्रांति के कारण छात्र-छात्राएं कम्‍प्‍यूटर एवं मोबाइल जैसे संचार साधनों की ओर अधिक अग्रसर हुए हैं। विद्यार्थी इंटरनेट से जानकारी हासिल कर लेते हैं किंतु उसमें विश्‍वसनीयता का अभाव रहता है। 'पढ़े भोपाल' कार्यक्रम से पुन: पुस्‍तकों की ओर उन्‍मुखीकरण करके भारतीय साहित्यिक निधि की ओर आकर्षित कर सकते हैं।

यह कार्यक्रम अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्‍वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. रामदेव भारद्वाज के संरक्षण में आयोजित किया गया।

 

1-दिनांक 09 अक्‍टूबर, 2018 को 'पढ़े भोपाल' प्रथम चरण- 

राजभवन से पत्र क्रमांक 1582 दिनांक 26/09/2018 के परिपालन में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्‍वविद्यालय में दिनांक 09 अक्‍टूबर, 2018 को प्रात: 8.30 से 9.15 बजे तब 'पढ़े भोपाल' कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम हेतु विश्‍वविद्यालय के छात्र प्रात: 7.30 से ही अपनी पुस्‍तकें  लेकर प्रांगण में उपस्थित थे । विश्‍वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रो. रामदेव भारद्वाज द्वारा कार्यक्रम के पूर्व विद्यार्थियों को इस कार्यक्रम की महत्‍ता के बारे में जानकारी दी गयी एवं पुस्‍तकें पढ़ने हेतु प्रेरित किया गया । विश्‍वविद्यालय के पुस्‍तकालय, शिक्षा विभाग तथा अन्‍य तलों के शिक्षण कक्षों सहित सभी तलों पर अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी पुस्‍तकें पढ़ने हेतु बैठ सके ऐसी व्‍यवस्‍था की गयी थी । कुलपति  प्रोफेसर राजदेव भारद्वाज एवं कुलसचित प्रोफेसर सुनील पारे ने विश्‍वविद्यालय के समस्‍त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी इस समय में पुस्‍तकें पढ़ने हेतु प्रेरित किया ।

इस कार्यक्रम में विश्‍वविद्यालय के 328 विद्यार्थी अधिकारी एवं कर्मचारियों ने भाग लिया। कुलसचिव डॉ. सुनील पारे ने कहा कि इस कार्यक्रम में कुलपति महोदय एवं समस्‍त अधिकारियों को अपने साथ बैठकर पुस्‍तकें पढ़ते हुए देखकर विद्यार्थी अत्‍यंत उत्‍साहित हुए एवं उन्‍होंने पुस्‍तकें  पढ़ने की आदत को सतत् बनाये रखने का प्रण किया ।      

इस अवसर पर विश्‍वविद्यालय के पुस्‍तकालय से लगभग 1000 पुस्‍तकें एवं पत्रिकायें विद्यार्थियों के पठनार्थ उपलब्‍ध कराई गयी । उल्‍लेखनीय है विद्यार्थी, अधिकारी एवं कर्मचारी इस कार्यक्रम को लेकर अत्‍यंत उत्‍साहित थे । विद्या‍र्थियों के साथ कुलपति महोदय ने भी पुस्‍तकालय में बैठकर 'तंत्रात्‍मक रावण संहिता', कुलसचिव प्रो. सुनील पारे ने 'भारतीय इतिहास', नोडल अधिकारी प्रो. प्रज्ञेश अग्रवाल ने 'भारतीय विज्ञान की कहानी', संकायाध्‍यक्ष डॉ रेखा रॉय ने 'शिक्षा प्रद कहानियां', प्रो. एस.डी.सिंह ने 'कान्‍हा राष्‍ट्रीय उद्यान', वित्‍त अधिकारी सुश्री उषा सरेयाम ने 'सक्‍सेस मिरर' ,पंचकर्म विभाग के डॉ. सुरेश तिवारी ने 'भारत परिचय', संगणक विभाग के श्री भरत बाथम ने 'फुटबाल खेल और नियम' जैसी पुस्‍तकों को पठन किया विद्यार्थियों ने भी स्‍वयं उनके द्वारा लायी गयी पुस्‍तकें पढ़ीं तथा पुस्‍तकालय से ली गयी विभिन्‍न पुस्‍तकों का पाठन किया।

विश्‍वविद्यालय के छात्र अनुज यादव ने 'प्रतियोगिता दर्पण', नरेन्‍द्र गुर्जर ने प्रतियोगिता 'किरण', देवल कोठारी ने 'योजना', शालू पटेल ने 'शोध संचयन', शिवानी राठौर ने 'नवीन शोध संसार', उषा विश्‍वकर्मा ने 'सांख्यिकी विधियां', विनोद पेरवाल ने 'भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था', नीलू सरेयाम ने 'बाल विकास मनोविज्ञान', पूजा राठौर ने 'लेटअस सी', जूही गोलदार ने 'विश्‍व प्रसिद्ध साहसिक खोज यात्राएं' , नीलम त्रिपाठी ने 'रामचरित मानस', शताक्षी आशापुरे ने 'प्रतियोगिता दर्पण', टीना मंगलराम ने 'सक्‍सेस मिरर', रविन्‍द्र अहिरवार ने 'आज भी खरे है तलाब', प्रहलाद ठाकरे ने 'भारतीय संविधान', नेहा अग्रवाल ने 'जयशंकर प्रसाद की कहानियां', अनिता आदिवासी ने 'कम्‍प्‍यूटर क्‍या है आओ जानें' जैसी किताबों का पठन किया । विश्‍वविद्यालय के शिक्षकों ने भी इस अवसर पर पुस्‍तकों का अध्‍ययन किया जो कि इस प्रकार है –

डॉ. निशा पी शर्मा ने 'आर्थिक विकास', श्री सुधीर गुप्‍ता ने 'इंटरनेट अटल संहिता', डॉ. राजेश कुमार मिश्रा ने 'विविक्‍त गणित', डॉ. रितु श्रीवास्‍तव ने 'प्राचीन राजनीतिक चिंतन', डॉ. नीलू वर्मा ने 'आर्थिक भूगोल', डॉ. अंजली चौरे ने 'मध्‍यकालीन इतिहास', डॉ. अंतिमबाला जैन ने 'बीमा एवं बैंकिंग प्रबंधन', डॉ. अनिता चौबे ने 'कर्मभूमि', डॉ. रेनू अग्रवाल ने 'गोदान', डॉ. प्रतिमा रावत त्रिपाठी ने 'वैदिक गणित', डॉ. राजा चौहान ने 'इंटरनेट को जाने', डॉ. प्रकाश खातरकर ने 'विज्ञान जगत के मूलभूत रहस्‍य', डॉ. निवेदिता चतुर्वेदी ने 'भारतीय जैवविविधता', डॉ. वीण चौबे ने 'चित्रकला', डॉ. रश्मि चतुर्वेदी ने 'अमर शहीद चंद्रशेखर' जैसी पुस्‍तकों का पाठन किया । विश्‍वविद्यालय के कर्मचारियों ने भी इस अवसर पर पुस्‍तकें पढ़ी जो इस प्रकार है-

पूर्णिमा पाल ने 'आत्‍मविश्‍वास का दौर', नेहा उपाध्‍याय ने 'प्रतियोगिता परीक्षा', शकुन सिखेरिया ने 'कैरियर', रोहित प्रजापति ने 'कम्‍प्‍यूटर परिचय',  महेन्‍द्र राजपूत ने 'ल्‍यूसेंट सामान्‍य ज्ञान', चंचल मिश्रा ने 'सीपीसीटी ज्ञान', तृप्ति जोशी ने 'विवेकानंद जी का जीवन', रिचा दुबे ने 'भारत में विज्ञान', पराग चौरसिया ने 'लेखांकन के सिद्धांत' विद्यार्थियों से इस कार्यक्रम के बारे में प्रतिपुष्टि  लेने पर उन्‍होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम  विश्‍वविद्यालय में होते रहना चाहिए जिससे विद्यार्थियों को विषय के अतिरिक्‍त अन्‍य विषयों की जानकारी मिलती है एवं रूचि  जागृत होती है एवं अन्‍य विषय का भी ज्ञान प्राप्‍त होता है । सभी विद्यार्थियों में इस कार्यक्रम को लेकर बड़ा उत्‍साह था ।  विश्‍वविद्यालय के विभिन्‍न शिक्षण विभाग में अध्‍ययनरत विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम की भूरि-भूरि सराहना की। कुछ विद्यार्थियों द्वारा दिये गये अभिमत निम्‍नानुसार है तथा अन्‍य लगभग 70 विद्यार्थियों की प्रतिपुष्टि की छायाप्रतियां इस प्रतिवेदन के साथ संलग्‍न है।

  • नरेन्‍द्र त्रिपाठी ने कहा कि मैंने हिंदी साहित्‍य की महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद्र द्वारा लिखित 'नमक का दरोगा' कहानी पढ़ी इस तरह का आयोजन हमारे विश्‍वविद्यालय में किया जाना चाहिए।
  • कमल सिंह ने कहा कि बहुत ही अच्‍छा कार्यक्रम था एवं यह कार्यक्रम बार-बार होना चाहिए ।
  • पूर्णिमा पाल ने कहा यह कार्यक्रम पढ़ने की क्षमता विकसित करने हेतु सभी के लिए अच्‍छा रहा है और ऐसे कार्यक्रम भविष्‍य में निरंतर होते रहना चाहिए ।
  • हरीश यादव ने कहा कि मैंने इस कार्यक्रम में भाग लिया जो मुझे बहुत अच्‍छा लगा, मैंने भारतीय महान शहीदों की कहानियां पढ़ी और मुझे बहुत अच्‍छा लगा साथ ही गुस्‍सा भी आया क्‍योंकि अंग्रेजों ने भारतवासियों पर जो अत्‍याचार किया था इस तरह की कहानी मैंने पहले नहीं पढ़ी थी ।
  • सुमन त्रिपाठी ने कहा मैंने अमृता प्रीतम की कहानी पढ़ी इस प्रकार की कहानी पढ़ने का बहुत मन था और पढ़ नहीं पा रहे थे जो कि इस अवसर पर पढ़ सके सबके साथ बैठकर पढ़ना बहुत सुखद रहा ऐसे अवसर बार-बार मिलने चाहिए ।
  • प्रियंका ठाकुर ने कहा – मैंने अपना कैरियर स्‍वयं चुनें नामक पुस्‍तक को पढ़ा इसे पढ़कर बहुत अच्‍छा अनुभव हुआ मेरा मानना है कि इस तरह के कार्यक्रम होते रहना चाहिए इनके होने से विद्यार्थियों के अंदर का आत्‍मविश्‍वास जागृत होता है ।

विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामदेव भारद्वाज ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों के     व्‍यक्तिव एवं मानसिक विकास में अत्‍यंत सहायक सिद्ध होते हैं उन्‍होंने यह भी कहा कि तकनीकि सुविधाओं के इस युग में विद्यार्थी अध्‍ययन-अध्‍यापन की मूल पुस्‍तकों के पाठन से दूर होते जा रहे हैं , परंतु इस प्रकार के कार्यक्रम निश्चित ही उनके व्‍यक्तिव निर्माण, समाज कल्‍याण एवं राष्‍ट्रहित में प्रभावी सिद्ध होंगे।

पढे़ भोपाल कार्यक्रम के पश्‍चात् गांधीजी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्‍य में प्रभातफेरी निकाली गयी जिसमें महात्‍मागांधी के प्रिय भजनों ‘रघुपति राघव राजा राम ...........’ तथा ‘ वैष्‍णव जन तो तेने कहिए ’ का गायन किया गया इस अवसर पर विद्यार्थियों ने राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी के अमृत वचनों के नारे भी लगाये ।

 

 

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